एक मदारी आया, अपने झोले में खूब सारे फल लाया,
दिखा दिखा उसने सब बन्दरों के मन को खूब ललचाया,
"अब सबको मिलेगा फल, अब सबको मिलेगा बेहतर कल
सब रहेंगे मिल के अब न होगी कोई फ़िक्र।"
पर मदारी की भूख बड़ी थी, उसकी टीम छूप के पीछे खड़ी थी,
जैसे ही बन्दर पास आये उन्होंने जाल बिछाया,
सबको फंसा पीपल के पेड़ से लटकाया
मदारी ज़ोर से हंसा और बंदरों को बोला,
"हर साल मैं जंगल में आता हूँ, तुमको फल दिखा पकड़ ले जाता हूँ,
तुम कब समझोगे यह फल नहीं जाल है, यह नासमझ ही तुम्हारी हार है । "
यह सुन बंदरों ने एक दुसरे को विवश भरी मंद आँखों से देखा और कहा
"हमारी नादानी शायद समझ से बड़ी है,
इसलिए हमारी किस्मत शायद इस देश की तरह आज इस पेड़ से लटकी पड़ी है,
इस पेड़ से लटकी पड़ी है ।। "